पेड़ो पर भी उगने लगे है पैसे देखो खेल सियासत के कैसे कैसे ,
बेचते रहते है ईमान सरेआम है लोग कैसे कैसे |
बन गए लफंदर हमारे आका वोट बिके जैसे जैसे ,
जो बिके नहीं वो टिके है यहाँ वहाँ जैसे तैसे |
पेड़ो पर भी उगने लगे है पैसे देखो खेल सियासत के कैसे कैसे ,
बच्चे न रहे न माँये न रही ,दंगे हुए कैसे कैसे |
सियासी लोग हँसते रहे सर कटे जैसे जैसे ,
दंगाई भगवान बने राम बचे जैसे तैसे |
पेड़ो पर भी उगने लगे है पैसे देखो खेल सियासत के कैसे कैसे ,
जीरो भी न गिन पाए लोग घोटाले हुए कैसे कैसे
and it's good the so called PM told us that, otherwise we wouldn't have known..
ReplyDeletenice lines by you
thanks ....
ReplyDeleteआपकी कविता पढकर अभिव्यक्ति के नए आयाम नज़र आते हैं
ReplyDeleteधन्यवाद ...
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