देखा मालिक को
किये मुट्ठी बंद
मुट्ठी मे थी उनके
मेरी साँसे ।
उनके पास था एक चाबुक
चाबुक जो खींचता था
पसीने से सांसे
अगर आज मजदूरी मे मुट्ठी भर साँसे मिली
तो देखेंगे रोटी कितनी हवादार बनती है ।
किये मुट्ठी बंद
मुट्ठी मे थी उनके
मेरी साँसे ।
उनके पास था एक चाबुक
चाबुक जो खींचता था
पसीने से सांसे
अगर आज मजदूरी मे मुट्ठी भर साँसे मिली
तो देखेंगे रोटी कितनी हवादार बनती है ।