Thursday 6 December 2012

हाँ ,मैं अयोध्या हूँ ..

 न मैं हिन्दू हूँ ,

न मैं मुस्लिम हूँ ,
रंजिशों की चौखट  पर ,

रोती, पुत्र रक्त से नहलायी गयी माँ हूँ ,

हाँ ,मैं अयोध्या हूँ ।


न मैं मंदिर हूँ ,
न मैं मस्जिद हूँ ,
वोट बैंक  की लूट पर ,
प्रेम धर्म बतलाने वाली जीवन की घोर निराशा हूँ , 

हाँ ,मैं अयोध्या हूँ ।

 


 न मैं लक्ष्मीबाई हूँ ,
 न मैं रजिया सुल्ताना हूँ ,
राम खुदा के नाम पर ,
लूटी अस्मत  वाली नंगी आँखों का निवाला हूँ ,
हाँ ,मैं अयोध्या हूँ । 


न मैं बच्ची हूँ ,
न मैं बुढिया हूँ ,
दंगो  के मेलो  पर ,
सब हाथों से मरोड़ी गयी गुड़िया हूँ ,
हाँ ,मैं अयोध्या हूँ ।


(अयोध्या को हम सभी अपने धार्मिक पूर्वाग्रहों से देखते है ,कभी उस शहर की नजरों से नहीं देखते ।जो सरयू तट पर बैठ कर अपने दाग धोना चाहता है ।)

6 comments:


  1. रंजिशों की चौखट पर ,
    रोती, पुत्र रक्त से नहलायी गयी माँ हूँ ,
    हाँ ,मैं अयोध्या हूँ

    अयोध्या की पीड़ा को उकेरने का अच्छा प्रयास किया आपने …
    योगेश दीक्षित जी !


    शासन तंत्र द्वारा घरों से निकाल निकाल कर निहत्थे श्रद्धालुओं के रक्त से अयोध्या मां को जिस तरह नहलाया गया , वह न भुलाया ही जा सकता है न ही माफ़ किया जा सकता है!!

    शुभकामनाओं सहित…

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  2. मिश्री से मीठे शब्दों के लिए धन्यवाद ।

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  3. so much hype has been already created that now Ayodhya has become an inseparable part of cheap politics. When will we all adopt the religion of 'Humanity'.
    beautifully portrayed by you.

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  4. क्या करें लोग नहीं मानते । जाति ,धर्म की बाते लोगो मे नशेड़ी के नशे जैसी होती है और नेता इस नशे के व्यापारी होते है ।

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