एक बहता दिन
एक दौड़ती रात
एक सोती सुबह
एक उमसती साँझ |
और एक काली सी नदी
सहमी- सहमी सी कैद हवाएं
कब्र से छोटा एक कमरा
कफन से छोटा एक बिस्तर
आँखों से छोटी एक खिड़की |
एक बूढ़ा सा पेंट
उम्र के साथ छोटी होती शर्ट
एक मोची के धागों का चमड़े से जुड़ा जूता |
एक रुका -रुका सा पंखा
एक गर्मी से जलता बलब
एक दस का नोट और एक भूँख
एक शहर ,एक बंद गली का माचिस की ड़िब्बीनुमा मकान
एक तीली जैसा कमरा ,और एक हड्डियों पर लटका ढांचा
हाँ ये तुम भी हो अगर लोग तुम्हे इंसान कहते है |
एक दौड़ती रात
एक सोती सुबह
एक उमसती साँझ |
और एक काली सी नदी
सहमी- सहमी सी कैद हवाएं
कब्र से छोटा एक कमरा
कफन से छोटा एक बिस्तर
आँखों से छोटी एक खिड़की |
एक बूढ़ा सा पेंट
उम्र के साथ छोटी होती शर्ट
एक मोची के धागों का चमड़े से जुड़ा जूता |
एक रुका -रुका सा पंखा
एक गर्मी से जलता बलब
एक दस का नोट और एक भूँख
एक शहर ,एक बंद गली का माचिस की ड़िब्बीनुमा मकान
एक तीली जैसा कमरा ,और एक हड्डियों पर लटका ढांचा
हाँ ये तुम भी हो अगर लोग तुम्हे इंसान कहते है |
VERY RIGHT AND NICE WORD PICTURE OF HUMAN .
ReplyDeleteप्रभावित करती पंक्तियां मित्र । बहुत ही बढिया .......लिखते रहें
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