Friday, 13 July 2012

मुझे एक ऐसी धरती दिखाओ

मुझे एक ऐसी धरती दिखाओ
जहाँ की औरतें
वहाँ के पोस्टरों पर बनी औरतों से ज़्यादा ख़ूबसूरत हों
और जिनका ईश्वर लगाता हो
मेरी आँखों के गिर्द, मेरे माथे पर और मेरी दुखती गर्दन पर
अच्छे-अच्छे लेप

'फिर कभी नहीं पाऊँगा अपनी आत्मा के लिए आराम'
हर दिन
एक नया आख़िरी दिन
गुज़र जाता है और मैं ज़रूर लौटता हूँ
उन जगहों पर जहाँ वे मुझे नापते हैं
तब तब बढ़ चुके पेड़ों से और उस सबसे जो नष्ट हो चुका

मैं अपने पैर पटकता हूँ और घसीटता हूँ
अपने जूते
चढ़ पाने के लिए उस उस सब पर
जो मुझे पहले ही नीचे धकेल चुका है
मेरी आत्मा का गोबर
भावनाओं की धूल
और प्रेम की रेत

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