लोगो को सेकुलर और कम्युनल मे खपाना आजकल फैशन मे है । सभी सम्माननीय नेता जी लोग ,लोगो मे फूट डाल कर कुर्सी का स्वाद लेना चाहते है ।
इसी बात पर मैंने अपने दूर के मित्र से जो कि एक पार्टी के नेता है से डरते -डरते पूंछ ही लिया |
दोस्त ,ये सेकुलर कम्युनल क्या होता है और आपके पास लोगो को सेकुलर और कम्युनल बनाने का कोई रास्ता है ?
दूर के नेता दोस्त - सेकुलर कम्युनल का वायरस भारतीय राजनीतिक पंडितो की ऐसी खोज है जिसके लिये हमें नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिये । कम्युनल और सेकुलर का वायरस हमारी पार्टी के पास होता है जिसे हम लोगो पर टाइम टू टाइम छिड़के रहते है । इसके छिडकाव के बाद घोटालों के लिए जमीन तैयार हो जाती है । ये वायरस तो इतना खतरनाक होता है की जमींन पर घोटालो के साथ साथ हवा मे और जमीन के नीचे भी कर सकते है ।
मैंने फिर पूंछा -जनता के पास वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक पॉवर तो होगी ही ?
दूर के नेता दोस्त - ये वायरस बहुत पॉवरफुल है और जब पेट भूखा हो तो रोग लग ही जाता है ।
मैंने पूंछा - आगे वायरस विकास के बारे मे क्या योजना है ?
दूर के नेता दोस्त -अभी वायरस विकास की योजना मे हम मीलो आ गए है और मीलो हमें जाना है और कुछ घोटालेरुपी सपने है जिनको पूरा करके दिखाना है । अगले चरण मे लोगो को कम्युनल और सेकुलर बस्तियों मे बाँटना है जैसे कि सेकुलर समाजवादी बस्ती और कम्युनल रामभक्त बस्ती ।
जब मुझे महसूस हुआ कि अब मै भी वायरस से ग्रसित हो रहा हूँ तो मै वहाँ से पलायन कर लिया ।
लकिन मित्र ने बिलकुल सत्य वचन कहे । लकिन महसूस होता है कि "रोटी कम्युनल है और भूख सेकुलर " ।
क्योंकि सरकारे रोटी तो धर्म के नाम पर बाँट सकती है लकिन भूख नहीं । भूख ही सच्चा सेकुलर धर्म है ।
वैधानिक चेतावनी - ये लेख किसी पार्टी के कार्यकर्त्ता अपने रिस्क पर पढ़े भावनाये आहत हो सकती है । अगर पढ़ ही लिया है तो इस गर्मी मे एक गिलास गरम पानी पी लें |